रायपुर। छत्तीसगढ़ में अनुपयोगी पड़ी सरकारी जमीनों का उपयोग तय करने के लिए सरकार एजेंसी नियुक्त करेगी। मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने कैबिनेट के माध्यम से एजेंसी तय करने की अनुशंसा की है। उपसमिति की सोमवार को उच्च स्तरीय बैठक हुई। इसमें मध्य प्रदेश की तर्ज पर खाली पड़ी सरकारी जमीनों के बेहतर पुनर्विकास, जीर्ण-शीर्ण भवनों का जीर्णोद्धार सहित जमीनों का क्रियान्वयन एजेंसी को हस्तांतरण के संबंध में भी विस्तार से चर्चा हुई।
बता दें कि प्रदेश के विभिन्न विभागों, निगम, मंडलों, कंपनियों और बोर्ड के अधीन स्वामित्व की अनुपयोगी जमीन के व्यवस्थित विकास व सदुपयोग को लेकर तीन मंत्रियों की अधिकार संपन्न् मंत्रिमंडल समिति बनाई गई है। समिति में लोक निर्माण मंत्री ताम्रध्वज साहू, आवास मंत्री मोहम्मद अकबर और खाद्य मंत्री अमरजीत भगत शामिल हैं। सोमवार को ताम्रध्वज साहू के निवास पर बैठक हुई।
इसमें मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, लोक निर्माण विभाग के सचिव सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेसी, सहकारिता विभाग के विशेष सचिव हिमशिखर गुप्ता, एनआरडीए के सीईओ व आयुक्त हाउसिंग बोर्ड डा. अय्याज तंबोली, नगर एवं ग्राम निवेश विभाग के संचालक जयप्रकाश मौर्य, आरडीए के सीईओ अभिजीत सिंह सहित संबंधित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में मंत्रिमंडल समिति द्वारा अनुपयोगी शासकीय जमीन के व्यवस्थित विकास व सदुपयोग के लिए नीतियां और क्रियान्वयन एजेंसी तय करने के लिए अनुशंसा की गई। अब नीतियों और क्रियान्वयन एजेंसी कैबिनेट स्तर पर तय होगी।
मध्य प्रदेश में बनाया गया है अलग विभाग
पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में करीब सालभर पहले इस काम के लिए अलग विभाग बनाया गया है। इसे लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग नाम दिया गया है। इसके माध्यम से राज्यभर में अनुपयोगी पड़ी सरकारी जमीन और भवनों की जानकारी जुटाई जा रही है।
पिछले महीने वहां कैबिनेट ने इस विभाग के अधीन मध्य प्रदेश राज्य परिसंपत्ति मौद्रीकरण एवं प्रबंधन कंपनी बनाने का फैसला किया है। यह चिन्हित परिसंपत्तियों का प्रबंधन करेगी और जिन्हें नीलाम किया जाना है, उनके लिए ई-टेंडर के माध्यम से प्रक्रिया की जाएगी। कंपनी परिसंपत्तियों से जुड़े विवाद को भी देखेगी।